एक बार की बात है एक संत कहीं जा रहे थे , उन्हे
रास्ते में एक व्यक्ति पांच गधों पर सामान ले
जाता हुआ मिला ।
संत ने पूंछा - भाई तुम कौन हो ?
व्यक्ति - व्यापारी हूं
संत - किस चीज का व्यापार करते हो ?
व्यक्ति - ये गधों में जो सामान लदा है उनका
संत - क्या लदा है ?
व्यक्ति - पहले गधे में अत्याचार , दूसरे में अहंकार ,
तीसरे में ईर्ष्या , चौथे में
बेईमानी , पांचवे में छल कपट लदा है ।
संत - इन्हे भला कौन खरीदता है ?
व्यक्ति - अत्याचार सत्ताधारी खरीदते हैं ,
अहंकार सांसारिक लोगों की पसंद है ,
विद्वानों को ईर्ष्या चाहिये ,
बेईमानी व्यापारी वर्ग लेते हैं और छल - कपट
महिलाओं को कुछ अधिक ही पसंद है ... और
मेरा नाम तो आपने सुना ही होगा मुझे शैतान कहते
हैं , सारी मानव जाति भगवान
की नहीं मेरी प्रतीक्षा करती हैं , मेरे व्यापार में
लाभ ही लाभ है ।
संत - पर तुम जा कहां रहे हो ?
व्यक्ति - खरीददारों की तलाश में ... इतना कह
कर व्यक्ति चला गया ।
वह व्यापारी आज भी ग्राहकों की तलाश में घूम
रहा है ...
सावधान रहें उसके ग्राहक न बनें !
जय जय श्री राधे कृष्णा
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