Radhe Radhe all,
This post is in Hindi language.
i have explained this in english in my other post.
ललिता गोपी ने श्री राधिका जी से पूछा - आपका और श्री कृष्ण का क्या नाता है?
राधा जी ने कहा - ललिता, तूने जो मानना हो मान ले ।
ललिता जी ने कहा समझ गयी - आप श्री कृष्ण की प्रियतमा है और वो आपके प्रियतम है ।
राधा जी ने कहा-
तू कुछ नहीं समझी ।
हम दोनों में प्रियतमा और प्रियतम का भेद है ही नहीं ।
बस मिलन की तीव्र जिज्ञासा-अभिलाषा पैदा होती है, जो हम दोनों को पीस कर एक बना देती है ।
ये प्रेम की प्रगाड़ता(गहराई) है जो राधा को कृष्ण बना देती है और कृष्ण को राधा बना देती है ।
इसलिए यहाँ नित्य संयोग भी है और सदा वियोग भी है ।
"सदा वियोगिनी, श्री राधा, नित्य संयोगिनी श्री राधा , अदभुत योगिनी श्री राधा
जय राधा बोलो श्री राधा, जय राधा बोलो श्री राधा"
This post is in Hindi language.
i have explained this in english in my other post.
ललिता गोपी ने श्री राधिका जी से पूछा - आपका और श्री कृष्ण का क्या नाता है?
राधा जी ने कहा - ललिता, तूने जो मानना हो मान ले ।
ललिता जी ने कहा समझ गयी - आप श्री कृष्ण की प्रियतमा है और वो आपके प्रियतम है ।
राधा जी ने कहा-
तू कुछ नहीं समझी ।
हम दोनों में प्रियतमा और प्रियतम का भेद है ही नहीं ।
बस मिलन की तीव्र जिज्ञासा-अभिलाषा पैदा होती है, जो हम दोनों को पीस कर एक बना देती है ।
ये प्रेम की प्रगाड़ता(गहराई) है जो राधा को कृष्ण बना देती है और कृष्ण को राधा बना देती है ।
इसलिए यहाँ नित्य संयोग भी है और सदा वियोग भी है ।
"सदा वियोगिनी, श्री राधा, नित्य संयोगिनी श्री राधा , अदभुत योगिनी श्री राधा
जय राधा बोलो श्री राधा, जय राधा बोलो श्री राधा"
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