सुन्दरकांड का पाठ क्यों करना चाहिए?
बजरंग बली को प्रसन्न करने के लिए हनुमान चालिसा का पाठ किया जाता है। वहीं सुंदरकांड का पाठ भी सबसे अच्छा उपाय है हनुमानजी की कृपा प्राप्ति का।सुंदरकांड गोस्वामी तुलसीदास द्वारा लिखी गई रामचरितमानस के सात कांडों में से एक हैं। रामचरितमानस के सभी कांड भगवान की भक्ति के लिए सर्वोत्तम हैं परंतु सुंदरकांड का महत्व अत्यधिक बताया गया है।
ऐसा माना जाता है कि किसी भी प्रकार की परेशानी हो, कोई काम नहीं बन रहा हो, आत्मविश्वास की कमी हो या कोई और समस्या कई ज्योतिषी और संत भी लोगों को ऐसी स्थिति में सुंदरकांड का पाठ करने की सलाह देते हैं।रामचरितमानस के सुंदरकांड की कथा सबसे अलग है। संपूर्ण रामचरितमानस भगवान राम के गुणों और उनकी पुरुषार्थ से भरे हैं। सुंदरकांड एकमात्र ऐसा अध्याय है जो भक्त की विजय को दर्शाता है।
मनोवैज्ञानिक नजरिए से देखा जाए तो यह आत्मविश्वास और इच्छाशक्ति बढ़ाने वाला कांड है। हनुमान जो कि जाति से वानर थे, वे समुद्र को लांघकर लंका पहुंच गए और वहां सीता की खोज की। लंका को जलाया और सीता का संदेश लेकर लौट आए। यह एक आम आदमी की जीत का कांड है, जो अपनी इच्छाशक्ति के बल पर इतना बड़ा चमत्कार कर सकता है। इसमें जीवन में सफलता के महत्वपूर्ण सूत्र भी हैं। इसलिए पूरी रामायण में सुंदरकांड को सबसे श्रेष्ठ माना जाता है क्योंकि यह व्यक्ति में आत्मविश्वास बढ़ाता है।
ऐसा माना जाता है कि किसी भी प्रकार की परेशानी हो, कोई काम नहीं बन रहा हो, आत्मविश्वास की कमी हो या कोई और समस्या कई ज्योतिषी और संत भी लोगों को ऐसी स्थिति में सुंदरकांड का पाठ करने की सलाह देते हैं।रामचरितमानस के सुंदरकांड की कथा सबसे अलग है। संपूर्ण रामचरितमानस भगवान राम के गुणों और उनकी पुरुषार्थ से भरे हैं। सुंदरकांड एकमात्र ऐसा अध्याय है जो भक्त की विजय को दर्शाता है।
मनोवैज्ञानिक नजरिए से देखा जाए तो यह आत्मविश्वास और इच्छाशक्ति बढ़ाने वाला कांड है। हनुमान जो कि जाति से वानर थे, वे समुद्र को लांघकर लंका पहुंच गए और वहां सीता की खोज की। लंका को जलाया और सीता का संदेश लेकर लौट आए। यह एक आम आदमी की जीत का कांड है, जो अपनी इच्छाशक्ति के बल पर इतना बड़ा चमत्कार कर सकता है। इसमें जीवन में सफलता के महत्वपूर्ण सूत्र भी हैं। इसलिए पूरी रामायण में सुंदरकांड को सबसे श्रेष्ठ माना जाता है क्योंकि यह व्यक्ति में आत्मविश्वास बढ़ाता है।
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