naa jee bhar ke dekha naa kucch baat ki - Vinod Agarwal ji





Vinod Agarwal ji bhajan-

Naa jee bhar ke dekha, naa kuch baat ki
badi aarju thi mulaakat ki.


Bhajan ke kahne ka abhipray ye hai ki, hum aapse milna chahte hai.
Aapko dekhna chahte hai.
This bhajan need to be listened to feel the pain of a bhakt.

ना जी भर के देखा, ना कुछ बात की,
बड़ी आरजू थी मुलाक़ात की ।

करो दृष्टि  अब तो प्रभु करुणा की,
बड़ी आरजू थी मुलाक़ात की ।

१) गए जब से मथुरा वो मोहन मुरारी,
सभी गोपियाँ ब्रिज में व्याकुल थी भारी,
कहाँ दिन बिताया , कहाँ रात थी,
बड़ी आरजू थी मुलाक़ात थी ।

२) चले आओ अब तो ओ प्यारे कन्हैया,
ये सूनी है कुंजन और व्याकुल है गैया,
सुना दो इन्हें अब तो धुन मुरली की ,
बड़ी आरजू थी मुलाक़ात थी ।

(शबनम से क्या फूल खिले, जब तक बरसात ना हो,
तेरी तस्वीर से क्या दिल भरे, जब तक मुलाक़ात ना हो )

३) हम बैठे है ग़म उनका दिल में ही पाले,
भला ऐसे में खुद को कैसे संभाले ,
ना उनकी सुनी, ना कुछ अपनी कही,
बड़ी आरजू थी मुलाक़ात थी ।
(We have your sorrow in our heart,
How do we control ourselves in such a situation)

४) तेरा मुस्कराना भला कैसे  भूले,
वो कदमन की छैया, वो सावन के झूले,
ना कोयल की कू-कू, ना पपीहा की पी,
बड़ी आरजू थी मुलाक़ात थी ।
(How can we forget your smile, saavan swings,
We always yearn for meeting with you )

५) तमन्ना  यही थी की आयेंगे मोहन,
मैं चरणों में वारुंगी तन-मन ये जीवन,
हाय मेरा कैसा ये बिगड़ा नसीब,
बड़ी आरजू थी मुलाक़ात थी ।
(We always have longed that you will come,
i will devote everything to you,
but it seems i am not that lucky)




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