Hamaro dhan radha, shri radha lyrics
हमारो धन राधा, श्री राधा , श्री राधा,
परम धन राधा राधा राधा राधा राधा ।
जहाँ गेंदा गुलाब अनेक खिले, बैठो क्यूँ करील की छावन में ,
प्रेम सरोवर छोड़ के तू, भटके है क्यूँ चित्त की चाहन में ।
(jahan genda gulaab anek khile, baitho kyun karil ki chhavan mein,
prem sarovar chhod ke tu, bhatke hai kyun chitt ki chaahan mein)
प्रेमी कहे यह प्रेम को पंथ,
रहिबो कर सुधे सुबयन में ,
मन तो है मिले, विश्राम वही,
वृषभान किशोरी के पायन में ।
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